Gulnar "Musafir" with Love Shayari (गुलनार "मुसाफ़िर", लव वाली शायरी)
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रविवार, 23 जनवरी 2022
ये पलकें ही क्यों हुई नम,
ऐ गुलनार, तेरे इश्क़ में।
तुम कौन सा फलिस्ता हो
तेरे गम में जो ये झील, सदा ही डूबी रहती हैं।।
तू खुदा तो नहीं, खुदा समान था
तू मोहब्बत नहीं, इश्क़ था।।
गुरुवार, 20 जनवरी 2022
आज पहली तारीख, पहला दिन, पहली मोहब्बत
इश्क़ पहला, शख्सियत पहली, रुसवा पहला।।
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इश्क जिस्मानी नही
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
ख्याल आना
जब भी निकलता हूं घर से होता हूं बाजार में, जाने क्यूं ख्याल आती हैं।।
सफलता की ओर
कौन कहता है, इश्क़ में नाक़ाम हुए नाक़ाम हुए तो नाकामियां तो बताए कोई।
फरिश्ता
ये पलकें ही क्यों हुई नम, ऐ गुलनार, तेरे इश्क़ में। तुम कौन सा फ़रिश्ता हो तेरे गम में जो ये झील, सदा ही डूबी रहती हैं।।