तुम रूहानियत की मोहब्बत हो
इश्क़ के तुम खुदा हो,
तुम एक ऐसे फरिश्ता हो जिसका जिक्र शब्दों में नहीं
ऎहसासों में होता है,
तुम वास्तव में मेरे खुदा हो, चाहे हो कहीं भी
पर, मौजूदगी उसकी (तुम्हारी) हर पल होती है
जहां में।।
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।