Gulnar "Musafir" with Love Shayari (गुलनार "मुसाफ़िर", लव वाली शायरी)
खबर
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
खबर
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
शनिवार, 22 जनवरी 2022
खबर
क्या खबर तेरी,और क्या क्या खबर मेरी
ये वक्त ही हैं, जो रखता हैं खबर सबकी।।
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
इश्क जिस्मानी नही
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
ख्याल आना
जब भी निकलता हूं घर से होता हूं बाजार में, जाने क्यूं ख्याल आती हैं।।
सफलता की ओर
कौन कहता है, इश्क़ में नाक़ाम हुए नाक़ाम हुए तो नाकामियां तो बताए कोई।
फरिश्ता
ये पलकें ही क्यों हुई नम, ऐ गुलनार, तेरे इश्क़ में। तुम कौन सा फ़रिश्ता हो तेरे गम में जो ये झील, सदा ही डूबी रहती हैं।।