Gulnar "Musafir" with Love Shayari (गुलनार "मुसाफ़िर", लव वाली शायरी)
तकदीर।
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
तकदीर।
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 10 अगस्त 2021
वो इंसान ही खास था
मेरे लिए मेरे तकदीर के लिए।।
पर न जाने, लगी किसकी बुरी नज़र
जो खिलते हुए फूलों को
डाली से चूर चूर किया ।।
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
इश्क जिस्मानी नही
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
ख्याल आना
जब भी निकलता हूं घर से होता हूं बाजार में, जाने क्यूं ख्याल आती हैं।।
वक्त
"मुसाफिर" को जिस दिन वक्त का साथ हुआ जनाब पंछी को जमीनी पर ना उचरने दूंगा।।
इश्क जिस्मानी नही
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।