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बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

परे से परे


तुम सिर्फ चाहत (इश्क़) नहीं थी
उससे भी परे, परे थे तुम।

ये ना सोच तू
जिस्म की हवस, जिस्म की भूख
और कहानी ख़तम, बल्कि
इनसे भी परे हो तुम।

रविवार, 23 जनवरी 2022


तुम जान तो ना थी मेरी, मगर जां से भी बड़ कर थे 
मशला तुम्हारी शख्सियत का नहीं,मेरी रूहानी चाहत का हैं, वह चाहत जो देह धारी से परे हैं।।

इश्क जिस्मानी नही

इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।