जहां ने ठुकराया, वक्त ने ठुकराया
एक तुम्हारा एहसान बाकी था, जो
तूने भी ठुकराया, नादान परिंदे को।
उड़ना चाहा आकाश में
उम्मीदों, और उमंगों के परो से
पर वे पर ही काट दिए
तुम्हारे खोखले दर्ण्ङ विचारों ने।।
तू कैसी ओैरत थी,
दिल लगाया मुझसे
और ब्याह रचाया किसी से।।