तू ना सोच मुझे गवां दिया
खो के भी बहुत कुछ पाया तूने
मेरी वाणी में, मेरी शक्सीयत
तूने ही राज जमाया।।
ओर बात होती, मैंने तुझे गवां दिया होता
गवां के फिर, कभी याद ना किया होता।।
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।