Gulnar "Musafir" with Love Shayari (गुलनार "मुसाफ़िर", लव वाली शायरी)
सोच सिर्फ सोच
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
सोच सिर्फ सोच
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
गुरुवार, 20 जनवरी 2022
दूर हो कर भी पास मेरे तुम
क्या हुआ आज जो मेरे पास ना हो
सोच...
फिर भी तुम मेरे पास हो।।
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
इश्क जिस्मानी नही
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
ख्याल आना
जब भी निकलता हूं घर से होता हूं बाजार में, जाने क्यूं ख्याल आती हैं।।
वक्त
"मुसाफिर" को जिस दिन वक्त का साथ हुआ जनाब पंछी को जमीनी पर ना उचरने दूंगा।।
इश्क जिस्मानी नही
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।