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शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

जिंदगी

कोई मौका ना छोड़ती ये जिन्दगी
मुझे नीचे गिराने के लिए।
मैं सम्हल कर भी ना सम्हर पाऊं
और, सम्मल कर भी सम्मल जाऊं।।

इश्क जिस्मानी नही

इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।