जिस्म की चाह ख़ाक कर देगी
इश्क़ की तड़प,
नूर कर देगी जन्नत कर देगी।।
*नूर= रूहानियत के परे की पवित्रता।
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें