खंजर कैसे चल जाए, हाथ कैसे चल जाए
किसी की जान, एक तरफे इश्क़ में कैसी चली जाए।।
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
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