विरह की रात हो या हिज़्र का फ़रमान
इश्क़ तब भी होता हैं, इश्क़ जब भी होता हैं।।
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
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