गुरुवार, 20 जनवरी 2022

कुछ ना गवाया, इक जिस्म के अलावा


ना सोचू मैं, के मैंने तुझे गवाया
गवाया ही क्या, एक जिस्म ही
जिस्म ही गवाया, उसे नहीं।।

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इश्क जिस्मानी नही

इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।