सोमवार, 24 जनवरी 2022

शतरंज सी जिंदगानी अपनी

जिन्दगी ने शतरंज की चाल चली मेरे साथ
मेरे हर प्याले को, मुझसे ही छिनसा रहा।।

जिन्दगी के शतरंज में ऐसी मात खाई मैंने
के, एक भी प्याला ना रहा मेरा।।

मात पर मात खाई शतरंज में मैंने
फिर भी निरन्तर पथ पर बढ़ता रहा।।

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इश्क जिस्मानी नही

इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।