तू जन्नत हैं इश्क़ का
तू मुकाम हैं मोहब्बत का
ऐ गुल, ऐ गुलनार...
तू चाहत हैं "मुसाफ़िर" का।।
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
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