आखिर, मुकाम होगा क्या
ख़ुद मुसाफ़िर को ना पता।।
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें