तेरी सूरत, उस चंद में देखता हूं
जो तेरी शक्ल से मिलता तो नहीं
मगर, तेरी याद, बेशक दिला जाती है।।
*चंद= चांद, चंद्रमा
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
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