Gulnar "Musafir" with Love Shayari (गुलनार "मुसाफ़िर", लव वाली शायरी)
बुधवार, 1 फ़रवरी 2023
इश्क जिस्मानी नही
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं
इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो...
जिसका जिक्र संभव नहीं।
मजबूरन
कमजोर न थे
बस, हालात से मजबूर थे।
सफलता की ओर
कौन कहता है, इश्क़ में नाक़ाम हुए
नाक़ाम हुए तो नाकामियां तो बताए कोई।
परे से परे
तुम सिर्फ चाहत (इश्क़) नहीं थी
उससे भी परे, परे थे तुम।
ये ना सोच तू
जिस्म की हवस, जिस्म की भूख
और कहानी ख़तम, बल्कि
इनसे भी परे हो तुम।
हो आज भी तुम पास
तुम रूहानियत की मोहब्बत हो
इश्क़ के तुम खुदा हो,
तुम एक ऐसे फरिश्ता हो जिसका जिक्र शब्दों में नहीं
ऎहसासों में होता है,
तुम वास्तव में मेरे खुदा हो, चाहे हो कहीं भी
पर, मौजूदगी उसकी (तुम्हारी) हर पल होती है
जहां में।।
क्या हक हमारा
तेरे आंचल पे भी नाम उनका
तेरे दामन पर भी नाम उनका
हमारा क्या हक़...तुझ पे
हम सिर्फ तसव्वुर है, उन ख्ववाबों की।।
होने न होने से क्या होता!
तुम होते तो क्या होता, गर तुम होते... तो क्या होता,
होने से क्या होता, और होने से... क्या होता,
तुम्हारी शख्सियत से क्या होता, तुम्हारी अदाओं से क्या, होता, तुम्हारी जिस्म जां से क्या होता,
तुम्हारी मोहब्बत से क्या होता, तुम्हारी आदाओ से क्या, होता, तुम्हारी नज़र की पहनाओ से क्या होता,
तुम्हारी गुलाब सी पंखुड़ियों से क्या होता,
क्या होता, गर तुम होते मेरे।।
इश्क़ देह नहीं
तुम जान तो ना थी मेरी, मगर जां से भी बड़ कर थे
मसला तुम्हारी शख्सियत का नहीं,मेरी रूहानी चाहत (इश्क़) का हैं, वह चाहत ( इश्क़) जो देह धारी से परे हैं।।
बहुत कुछ हो सकता था
होने से हो सकता था, यूं गमो का सिलसिला थम सकता था, परिवर्तन हो सकता था, दिलो से दिलो को मिलाने का यत्न हो सकता था, गर तुझसे अपने ही स्वीकार होते।।
फरिश्ता
ये पलकें ही क्यों हुई नम,
ऐ गुलनार, तेरे इश्क़ में।
तुम कौन सा फ़रिश्ता हो
तेरे गम में जो ये झील, सदा ही डूबी रहती हैं।।
आपका एहसान
जहां ने ठुकराया, वक्त ने ठुकराया
एक तुम्हारा एहसान बाकी था, जो
तूने भी ठुकराया, नादान परिंदे को।
उड़ना चाहा आकाश में
उम्मीदों, और उमंगों के परो से
पर वे पर ही काट दिए
तुम्हारे खोखले दर्ण्ङ विचारों ने।।
तू कैसी ओैरत थी,
दिल लगाया मुझसे
और ब्याह रचाया किसी से।।
सोमवार, 12 दिसंबर 2022
आम से भी ऊपर
वो कोई परी या नूर नहीं है
वो आम इन्सान है, आम औरत
वह आम औरत ही मेरे लिए बहुत कुछ है।।
इशारा दिया उसने
वो बताती थी इशारा किया करती थी
मैं बेवकुफ समझ कर भी समझ न सका।।
ख्याल आना
जब भी निकलता हूं घर से
होता हूं बाजार में, जाने क्यूं ख्याल आती हैं।।
रविवार, 27 मार्च 2022
बंदगी तेरी
तुझे मांगा ना अपने लिए
तुझे चाहा ना अपने लिए!
तू बंदगी थी मेरी...
तू दुआओ में रहे सदा मेरे!!
तू खुश रहे, खुशहाल रहे,
और क्या चाहे मुझे।।।
सुहाग तेरा, दामन से भरा रहे।।
हर करवा चौथ की शुभकामनाएं
हे जानिब, ईकैट्रा दुआ है मेरी।।
उनके निशा
ये रास्ता,मार्ग
डगर, ये पगडंडी सा
निशां हैं तेरे,
रोना
रोना हैं रोने दीजिए
अपना गुलाम ना बनाइए मुझे।।
वक्त
"मुसाफिर" को जिस दिन वक्त का साथ हुआ
जनाब पंछी को जमीनी पर ना उचरने दूंगा।।
दिल
तुम्हारा दिल, तुम्हारा मन
और तुम्हारी...
तुम्हारी हरकतों ने बयां कर दिया
कुछ तंगा हैं दिल में तेरे।।
जाहिर करती हैं हरकते तेरी
जो तेरे दिल में है, वहीं बात तेरी हरकतों में हैं।।
सोमवार, 24 जनवरी 2022
शतरंज सी जिंदगानी अपनी
जिन्दगी ने शतरंज की चाल चली मेरे साथ
मेरे हर प्याले को, मुझसे ही छिनसा रहा।।
जिन्दगी के शतरंज में ऐसी मात खाई मैंने
के, एक भी प्याला ना रहा मेरा।।
मात पर मात खाई शतरंज में मैंने
फिर भी निरन्तर पथ पर बढ़ता रहा।।
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इश्क जिस्मानी नही
इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।
ख्याल आना
जब भी निकलता हूं घर से होता हूं बाजार में, जाने क्यूं ख्याल आती हैं।।
सफलता की ओर
कौन कहता है, इश्क़ में नाक़ाम हुए नाक़ाम हुए तो नाकामियां तो बताए कोई।
फरिश्ता
ये पलकें ही क्यों हुई नम, ऐ गुलनार, तेरे इश्क़ में। तुम कौन सा फ़रिश्ता हो तेरे गम में जो ये झील, सदा ही डूबी रहती हैं।।