रविवार, 27 मार्च 2022

बंदगी तेरी

तुझे मांगा ना अपने लिए
तुझे चाहा ना अपने लिए!
तू बंदगी थी मेरी...
तू दुआओ में रहे सदा मेरे!!

तू खुश रहे, खुशहाल रहे,
और क्या चाहे मुझे।।।

सुहाग तेरा, दामन से भरा रहे।।

हर करवा चौथ की शुभकामनाएं
हे जानिब, ईकैट्रा दुआ है मेरी।।

उनके निशा

ये रास्ता,मार्ग
डगर, ये पगडंडी सा
निशां हैं तेरे,

रोना

  
रोना  हैं रोने दीजिए
अपना गुलाम ना बनाइए मुझे।।

वक्त

"मुसाफिर" को जिस दिन वक्त का साथ हुआ
जनाब पंछी को जमीनी पर ना उचरने दूंगा।।

दिल

तुम्हारा दिल, तुम्हारा मन
और तुम्हारी...

तुम्हारी हरकतों ने बयां कर दिया
कुछ तंगा हैं दिल में तेरे।।

जाहिर करती हैं हरकते तेरी
जो तेरे दिल में है, वहीं बात तेरी हरकतों में हैं।।

सोमवार, 24 जनवरी 2022

शतरंज सी जिंदगानी अपनी

जिन्दगी ने शतरंज की चाल चली मेरे साथ
मेरे हर प्याले को, मुझसे ही छिनसा रहा।।

जिन्दगी के शतरंज में ऐसी मात खाई मैंने
के, एक भी प्याला ना रहा मेरा।।

मात पर मात खाई शतरंज में मैंने
फिर भी निरन्तर पथ पर बढ़ता रहा।।

शुप्रभास, तेरी इक और  सुबह की
मेरे मौत के दिन ओर करीब आने की,
तुझे, शुप्रभास।।

तेरे नाम की सुबह हुई हर रोज
बस! इक तू ही नही...

तेरी सुबह हुई, शायद मुझसे पहले
तेरी उसी सुबह को,
तेरी सुबह को फिर सलाम,
मुझसे भी खुश नसीब हैं।।

रविवार, 23 जनवरी 2022


तुम जान तो ना थी मेरी, मगर जां से भी बड़ कर थे 
मशला तुम्हारी शख्सियत का नहीं,मेरी रूहानी चाहत का हैं, वह चाहत जो देह धारी से परे हैं।।

होने से हो सकता था, यूं गमो का सिलसिला थम सकता था, परिवर्तन हो सकता था, दिलो से दिलो को मिलाने का यत्न हो सकता था, गर तुझसे अपने ही स्वीकार होते।।
ये पलकें ही क्यों हुई नम,
 ऐ गुलनार, तेरे इश्क़ में।
तुम कौन सा फलिस्ता हो
तेरे गम में जो ये झील, सदा ही डूबी रहती हैं।।

दुनियां चाहे कितना ही बहाना बनाएं
जो हक़ीक़त हैं, हक़ीक़त ही रहेगी।।

तू खुदा तो नहीं, खुदा समान था
तू मोहब्बत नहीं, इश्क़ था।।

शनिवार, 22 जनवरी 2022

रंग बदलना तुम्हारा

देख लिया तुझे भी मैंने, रंग बजलू हो तुम भी
खुद पर आई तो इल्जाम मुझ पर सा संवार दिया।।

रूहानियत पन


खुदा की रूहानियत हैं तुझमें

उसकी बनी कोई मूरत हैं तू।।

खबर

क्या खबर तेरी,और क्या क्या खबर मेरी
ये वक्त ही हैं, जो रखता हैं खबर सबकी।।

गुरुवार, 20 जनवरी 2022

क्या हाल हुए जनाब के


देख, मेहबूब मेरे
क्या हाल हैं जनाब के।।

याद, बेशक हैं जिस्म के रूप में उनकी
पर, इश्क़ तो
उनके परे के परे हैं।।

सुबह हो चली
ओर याद में उनके, शब्द गड़े जा रहे।।

इश्क जिस्मानी नही

इश्क़ कोई जिस्म या शारीरिक संबध नहीं इश्क़ वह रूह, रूहानियत होती है, जो... जिसका जिक्र संभव नहीं।